बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकारी प्रयास कौन-कौन से हैं?

बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकारी प्रयास (Government Effots to Remove Unemployment) – एक लोकतान्त्रिक देश की सम्पन्नता व समृद्धता केवल इस बात पर निर्भर नहीं करती कि उसके पास प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक स्रोत व संसाधन उपलब्ध हैं, बल्कि इस बात पर भी निर्भर करती है कि इन स्त्रोतों व संसाधनों के विदोहन में कितने हाथ काम कर रहे हैं। इस दृष्टिकोण को सामने रखते हुए हुए हमारी सरकार ने अधिक से अधिक लोगों को रोजगार में लगाने अर्थात् बेकारी दूर करने के अनेक प्रयास किये हैं जिनमें से निम्नलिखित प्रमुख हैं-

(1) पंचवर्षीय योजनाएँ (Five Year Plans)

विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत बेकारी दूर करने के लिए सरकार ने अनेक नये उद्योगों की स्थापना की, सिंचाई एवं बिजली के लिए छोटे-बड़े अनेक बाँधों का निर्माण किया, भूमि सुधार हेतु अनेक कानून बनाये, कृषि में नवीन तकनीकी, औजारों, बीज, खाद्य आदि को प्रोत्साहन दिया तथा स्वास्थ्य एवं शिक्षा की सुविधाओं में वृद्धि की। इन सब प्रयासों से देश के लाखों लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ। सातवीं पंचवर्षीय योजना काल में लगभग 4 करोड़ लोगों के लिए रोजगार के नये अवसर जुटाये गये तथा आठवीं पंचवर्षीय योजना में 3% युवकों को प्रतिवर्ष रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है।

(2) राष्ट्रीयकृत बैंकों में साख योजना (Credit Scheme in Nationalized Banks)

देश में राष्ट्रीयकृत बैंकों में साख योजना की शुरुआत की गयी। इस योजना में स्वतः रोजगार (Self Employment) प्राप्त लोगों की आर्थिक सहायता प्रदान करने का प्रावधान किया गया। शिक्षित बेकारी का निवारण करने के लिए केन्द्र के विभिन्न मन्त्रालयों ने अपनी-अपनी योजनायें (प्रस्तुत कीं। को वर्ष में 100 दिन का काम दिया जाएगा। यह योजना नवीन बीस सूत्रीय कार्यक्रम (New Twenty Points Programming) का एक अंग है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत ग्रामीण सम्पर्क सड़कें बनाने, सिंचाई के लिए खेतों में नालियों बनाने तथा भूमि के विकास करने का प्रावधान किया गया है।

(4) ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम ( Rural Landless Employment Guarantee Programme)

इस कार्यक्रम का प्रारम्भ 1983-84 में भूमिहीन कृषि मजदूरों को कृषि के अतिरिक्त समय में वर्ष में 100 दिन रोजगार दिनों तथा गाँवों में स्थायी सम्पत्ति का निर्माण करना है ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में द्रुत गति से वृद्धि हो सके। सातवीं योजना में इस कार्यक्रम पर 2,412 करोड़ रुपये व्यय किया गया और 11,544 लाख मानव दिवसों का रोजगार उत्पन्न किया गया।

(5) जवाहर रोजगार योजना (Jawahar Employment Yojna)

1 अप्रैल, 1989- से राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम तथा ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम दोनों को मिलाकर जवाहर रोजगार योजना तैयार की गयी। इस योजना के प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बेकार एवं अर्द्ध-बेकार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना तथा गाँवों में ऐसे उत्पादक साधन उत्पन्न करना है जिससे ग्रामीण गरीबों को लाभ मिले, उनकी आय एवं स्थिति में सुधार हो और जीवन की गुणात्मकता में सुधार हो इस योजना में धन सीधा जिला परिषदों या जिला ग्रामीण विकास एजेन्सियों (DRDA) को उपलब्ध कराया जाता है।

(6) ग्रामीण युवकों को स्व-रोजगार प्रशिक्षण (Training of Rural Youth for Self-employment)

15 अगस्त, 1979 को एक राष्ट्रीय योजना के रूप में यह कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया था। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत ग्रामीण परिवारों के 18 से 35 वर्ष की आयु के युवकों को स्व-रोजगार के लिए तैयार करने हेतु विभिन्न व्यवसायों का तकनीकी प्रशिक्षण (Technical Training) दिया जाता है। जिस ग्रामीण परिवार की आय 3,500 रुपये प्रतिवर्ष तक हो उसमें एक व्यक्ति प्रति परिवार का प्रथम चरण में और जिस परिवार की आय 4,800 रुपये प्रति वर्ष हो द्वितीय चरण में इस कार्यक्रम के अन्तर्गत चुना जाता है। उन्हें कृषि से सम्बन्धित उद्योगों, सेवाओं एवं व्यापार का प्रशिक्षण दिया जाता है।

(7) स्व-रोजगार कार्यक्रम (Self Employment Scheme)

स्व-रोजगार योजना 15 अगस्त, 1983 को घोषित की गयी थी जो शहरी पढ़े-लिखे उप बेरोजगारों के लिए है जिनकी आयु 18 से 35 वर्ष के मध्य हो और जो हाईस्कूल या इससे अधिक पढ़े हों। इस योजना के अन्तर्गत 31 हजार रुपये तक किसी भी बेरोजगार शहरी पढ़े-लिखे व्यक्ति को बैंक के माध्यम से अ दिये जा सकते हैं जो कि स्वयं काम करना चाहते हैं। इसके लिए चयन जिला उद्योग कार्यालयों द्वारा किया जाता है। इस योजना का लक्ष्य 2 लाख से 2.5 लाख बेरोजगार पढ़े-लिखे युवकों को प्रतिवर्ष रोजगार प्रदान करना है।

कार्ल मार्क्स के अनुसार संघर्ष का सिद्धान्त।

अन्य प्रयास (Other Efforts )

उपर्युक्त प्रयत्नों के अतिरिक्त बेकारी दूर करने के – लिए सरकार ने कुछ प्रयत्न और किये हैं, जो निम्न प्रकार हैं-

  1. बेकारी को दूर करने के लिए सरकार ने एक बेरोजगारी विशेषज्ञ समिति का गठन किया। इस समिति ने आय पर, कम्पनी पर तथा विज्ञापनों पर अधिभार कर (Surplus Tax) लगाकर उस आय को बेकारी समाप्त करने के लिए खर्च करने का सुझाव प्रदान किया।
  2. सरकार ने प्रशिक्षित व्यक्तियों, जैसे डॉक्टर, इन्जीनियर आदि के लिए तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के खातक एवं स्वातकोत्तर छात्रों के लिए क्रमशः बेकारी बीमा एवं बेरोजगारी भत्ता योजना प्रारम्भ की।
  3. अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा पिछड़े वर्गों में बेकारी दूर करने हेतु विभिन्न स्थानों पर उनके लिए ‘स्थान सुरक्षित’ किये गये और उनका प्रतिशत भी बढ़ा दिया गया।
  4. बंधुआ मजदूर प्रथा को दूर करने के लिए सरकार ने 1976 में एक अधिनियम पारित कर श्रमिकों को शोषण से मक्त करवाया और न्यूनतम मजदूरी दर तय करके उन्हें राहत प्रदान की।
  5. निर्धन एवं बेकार व्यक्तियों को कार्य करने के लिए सरकार ने ‘काम के बदले अनाज’ योजना प्रारम्भ की। बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर सरकार ने उन्हें निर्देश दिये कि शिक्षित एवं अशिक्षित बेरोजगार व्यक्तियों को उदार शर्तों पर नये उद्योग खोलने के लिए ‘ऋण’ (Loans) दिये जायें। इस ऋण का कुछ भाग उन्हें माफ भी कर दिया जाता है।

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