अमेरिकी स्वतन्त्रता संग्राम कारणों एवं महत्व की विवेचना कीजिए।

अमेरिकी स्वतन्त्रता संग्राम – अमेरिकी स्वतन्त्रता संग्राम के कारण अमेरिकी स्वतन्त्रता संग्राम के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-

(1) अमेरिकावासियों का ब्रिटेन के प्रति असंतोष

जो अंग्रेज ब्रिटेन से देश निकाला के रूप में अमेरिका भेजे गए थे, उनका इंग्लैण्ड की सरकार से असन्तुष्ट होना स्वाभाविक था। अतः वह अंग्रेजों के अनुचित व्यवहार को सहन नहीं करते थे तथा वहाँ के निवासियों को अंग्रेजों के प्रति भड़काते रहते थे। इस समय तक अमेरिका के प्रत्येक क्षेत्र में विकास होने लगा था। उसमें स्वतंत्रता की भावना शक्तिशाली होने लगी थी। अब वे स्वतंत्रता की अभिलाषी बन गए थे।

अमेरिकी स्वतन्त्रता संग्राम कारणों एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
अमेरिकी स्वतन्त्रता संग्राम कारणों एवं महत्व की विवेचना कीजिए।

(2) अमेरिकावासियों का अंग्रेज होना

अमेरिका के निवासियों में वही रक्त संचरित था, जो ब्रिटेन निवासी अंग्रेजों में था, क्योंकि अमेरिकावासी भी मूलतः अंग्रेज थे। यदि ब्रिटेन निवासी स्वतंत्रता प्रेमी हो सकते थे, तो अमेरिकी भी स्वतंत्रता के लिए उतने ही उत्सुक को सकते थे। एक अमेरिकी के शब्दों में, “अमेरिका की स्वतंत्रता की स्थापना करने वाले अंग्रेज ही थे, अन्य कोई नहीं और उन्होंने यह कार्य अंग्रेजी इतिहास के आधार पर ही किया।

(3) इंग्लैण्ड और अमेरिकी लोगो के दृष्टिकोण में भिन्नता

इंग्लैण्ड तथा अमेरिका का दृष्टिकोण अलग-अलग था। इंग्लैण्ड के लोग कुलीन राजतंत्र के थे, किन्तु अमेरिकी जनतंत्र के समर्थक थे। उनकी दृष्टि से सभी लोग एक समान थे। एक अमेरिकी लेखक ने तत्कालीन अंग्रेजी समाज का निम्न शब्दों में वर्णन किया है। ‘इंग्लैण्ड के समाज में इस समय राज्य वालों, सेनानायकों, दास स्वामियों एवं धनी व्यापारियों जैसे धनाढ्यों का ही प्रभुत्व बना हुआ है।”

(4) दोषपूर्ण शासन प्रणाली

उपनिवेशों की शासन प्रणाली दोषरहित न थी। वहाँ की कार्यकारिणी तथा व्यस्थापिका सभा में निरन्तर संघर्ष होते रहते थे। कॉसिल के सदस्य राजा द्वारा मनोनीत किए जाते थे। व्यवस्थापिका सभा के सदस्य जनता द्वारा निर्वाचित होते थे। “कौंसिल के सदस्य सम्राट के प्रति और व्यवस्थापिका सभा जनता के प्रति उत्तरदायी थी। गवर्नर जनरल को लोकसभा के कानून को रद्द करने के अधिकार था। उपनिवेश अपनी सभा को शक्तिशाली मानते थे, किन्तु सरकार उसे यह मान्यता नहीं देती थी। इस प्रकार एक संकटपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो जाती थी।

(5) उद्योग एवं व्यापार पर नियंत्रण

दोषपूर्ण व्यापारिक प्रणाली होने के कारण अमेरिका के निवासी असन्तुष्ट थे इंग्लैण्ड समझता था कि अमेरिका अंग्रेजी साम्राज्य का ही एक अंग है तथा इंग्लैण्ड की संसद को उसके विषय में कानून पारित करने के पूर्ण अधिकार है। इंग्लैण्ड की विचारधारा थी कि अमेरिका इंग्लैण्ड का उपनिवेश है और सदैव उपनिवेश ही बना रहना चाहिए। साम्राज्य की एकता को बनाये रखना उनका नैतिक कर्तव्य है। इंग्लैण्डवासी यह नहीं सोचते थे कि उनकी सरकार अमेरिका में शोषण तथा दमन कर रही है। अंग्रेज उपनिवेशों को धनोपार्जन का एक साधन समझते थे अंग्रेजों की व्यावहारिक प्रणाली यथार्थ में अर्थिक शोषण का ही दूसरा रूप थी। समस्त वस्तुओं के लिए इंग्लैण्ड पर निर्भर रहने के कारण व्यापार का सन्तुलन अमेरिका के विरुद्ध रहता था। अमेरिका में सोने- चाँदी की कमी हो रही थी व कागजी मुद्रा का प्रसार बढ़ रहा था। इंग्लैण्ड पर अश्रित होने के कारण अमेरिका की आर्थिक स्थिति शोचनीय थी। अमेरिका के निवासी जो मुख्यतः व्यापारी थे, अंग्रेजों के समान धनी बनना चाहते थे। अतः उन्होंने वेस्ट इंडीज से नहीं, वरन् यूरोप के देशों के उच्च स्तर पर व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित किए। अमेरिका के जहाज किसी भी प्रकार से अंग्रेजी के जहाजों से कम न थे, परन्तु अंग्रेजों की नीति व प्रतिबन्धों ने अमेरिकी जहाजों का विकास न होने दिया। अंग्रेजों का उद्देश्य स्वयं को समृद्ध उपनिवेशों के लिए ईर्ष्या का विषय थीं। अमेरिका के निवासियों ने अपने जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए तस्कर व्यापार प्रारम्भ किया। जब अंग्रेजों ने इस तस्कर व्यापार को रोकने का प्रयास किया तो अमेरिकावासि

(6) सातवर्षीय युद्ध का प्रभाव

यार्नर मार्टिन ने सात वर्षीय युद्ध को अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख कारण बताया है। सातवर्षीय युद्ध में कनाडा पर पूर्ण अंग्रेजी अधिकार हो गया था और फ्रांस से भय सदैव के लिए अमेरिकावासियों के मन से निकल गया। बाह्य संकट समाप्त होते ही उपनिवेश वालों को अपने अधिकार के प्रति जागृत होना स्वाभाविक था। अंग्रेजों का इस बात से क्रोधित होना कोई आश्चर्य की बात न थी। यही नहीं, जब सातवर्षीय युद्ध में इंग्लैण्ड को दूर करने का अपना कोई दायित्व न समझते थे। इस प्रकार पारंपरिक द्वेष की अति धीरे-धीरे प्रज्जवलित होने लगी थी।

(7) धार्मिक कारण

यदि अमेरिका की विभिन्न बस्तियों का इतिहास देखा जाये तो ज्ञात होगा कि बसने का मूल कारण धार्मिक ही था। स्टुअर्ट में अंग्रेज पादरी सरकारी धर्म से तंग आकर इंग्लैण्ड छोड़ने पर बाध्य हुए थे। वे अमेरिका में बसकर अपने स्वतंत्र धार्मिक विचारों पर चल सकते थे। वे इंग्लैण्ड की सरकार से घृणा करते थे। इन बस्तियों में प्रोटेस्टेण्ट तथा कैथोलिक दोनों सम्प्रदाय के लोग थे और दोनों सम्प्रदाय इंग्लैण्ड की धार्मिक नीति के कारण ही इंग्लैण्ड भागे थे, अतएव दोनों सम्प्रदाय अंग्रेजी सरकार के घोर विरोधी थे।

(8) अपराध नियम

इंग्लैण्ड की सरकार ने उपनिवेश बस जाने पर अनैतिक अपराधियों को उपनिवेश में भेजना प्ररम्भ किया। इस प्रकार से बुरे चरित्र वाले लोगों की वह संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ने लगी। सरकार ने 16वीं शताब्दी में यह नियम भी परित किया कि कोई भला आदमी उपनिवेश में प्रवेश न कर सके। अतएव उपनिवेश में जाने वाले प्रत्येक अंग्रेजी जहाज की तलाशी ली जाने लगी और यह प्रयत्न किया गया कि अच्छे चरित्र वाला व्यक्ति उपनिवेश में बसने न पाये। इस प्रकार उपनिवेश में बसने वाला व्यक्ति या तो धार्मिकbअत्याचार से तंग आकर भागा या अपराध करने पर उसे बलपूर्वक वहाँ ले जाया जाता था। दोनों प्रकार के व्यक्ति इंग्लैण्ड की सरकार के विरोधी होते थे और अंग्रेजी सत्ता को समाप्त करना चाहते थे।

(9) भूमि की अधिकता तथा यातायात की कमी

अमेरिका में भूमि तो अधिक थी, परन्तु जनसंख्या थोड़ी थी। इस भूमि के लालच से अन्य देश के निवासी भी वहां बसने लगे। अनेक डच लोक वहाँ बसे। डच लोगों को इंग्लैण्ड से प्रेम होने का प्रश्न ही नहीं था। इसके अतिरिक्त इन उपनिवेशों के मध्य यातायात की कमी थी, सड़कों का अभाव था, रास्ते में बीहड़ जंगल थे। अतएव इनमें आपसी सम्पर्क कोई विशेष न था और अंग्रेजी नियंत्रण भी इन सभी बस्तियों में पूरा न था। अतएव जब विद्रोह हुआ तो एक बस्ती का समाचार दूसरी बरती पर न पहुँच सका और उनके विद्रोह दबाने में कठिनाई पड़ी।

(10) ग्रेनविल के आपत्तिजनक कार्य

इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री नविल ने चार ऐसे आपतिजनक कार्य किए, जिनसे अमेरिकावासी अत्यधिक क्रुद्ध हो उठे। ये कार्य निम्नवत् थे

  • अमेरिका की चोर बाजारी को दूर करने के लिए ग्रेनविल ने ‘एडमिरल्टी कोर्ट’ की स्थापना की। इससे अमेरिका में हलचल मच गयी तथा उनमें सरकार की प्रति विद्वेश उत्पन्न हो गया। चूँकि ग्रेनविल ने कागज पत्रों को पढ़कर ही चोर बाजारी का पता लगाया था, इसलिए कहा जाता है कि ‘प्रेनविल के द्वारा कागज पत्रों को पढ़े जाने के कारण ही इंग्लैण्ड ने अमेरिका को खो दिया।
  • 1763 ई. में एक अन्य कानून शीरा के निर्यात के सम्बन्ध में परित किया गया, ‘जिसे ‘शीरा कानून’ कहते हैं। यह भी असन्तोष का एक मुख्य कारण था।
  • प्रेनविल ने एक घोषणा द्वारा मिसीसियों में बड़े-बड़े भाग रेड इंडियन के लिए सुरक्षित कर दिये। इससे भी अमेरिकी ग्रेनविल के विरुद्ध हो गए।
  • अमेरिका की सुरक्षा के लिए ग्रेनविल ने एक छोटी सेना अमेरिका में रखने की घोषणा की, जिसके खर्च का 1/3 उपनिवेश निवासियों से देने को कहा गया इससे अमेरिका निवासी भड़क उठे। यद्यपि वार्नर मार्टिन म्योर के शब्दों में, “ग्रेवविल का यह सोचना असंगत नहीं था कि उपनिवेशों को सेना के खर्चे के लिए कुछ सहायता देनी चाहिए। किन्तु अमेरिकावासी इससे सहमत न थे।”

तत्कालीन घटनाएं

1770 ई. से 1773 ई. तक ऐसी घटनाएं घटित हुई जिससे दोनों पक्षों में तीव्र वैमनस्य उत्पन्न हो गया। इन घटनाओं का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है.

  1. बोस्टन शहर के निवासी ब्रिटिश रेजीमेन्टों का अपमान करने लगे थे। एक दल के कुछ सैनिकों के साथ जनता ने अभद्र व्यवहार किया। अंग्रेजों ने गोलियां चला दी जिससे कुछ व्यक्ति मारे गये। अमेरीका वासियों ने लोगों को भड़काने के उद्देश्य से एक बहुत बड़े नरसंहार का नाम दिया।
  2. अमेरीका की चोर बाजारी को रोकने के लिए एक शाही जहाज भेजा गया। उपनिवेशवासियों ने इसे जला डाला। अमेरिका में इससे खुशी मनायी गयी किन्तु इंग्लैण्ड में रोष फैल गया।
  3. बोस्टन टी पार्टी 1773 ई. में चाय अधिनियम द्वारा ईस्ट इंडिया को सीधे – अमेरिका को चाय भेजने का अधिकार प्राप्त हो गया था। इसका भी विरोध किया गया और अमेरिका निवासियों ने बोस्टन के बंदरगाह पर एक-एक जहाज में प्रवेश कर 340 चाय के बक्स समुद्र में फेंक दिया। इस घटना से अंग्रेजों को काफी क्रोध आया और उन्होंने यह समझ लिया कि अब अमेरिका विद्रोह अवश्य करेगा। विद्रोह शांत करने के लिए सभी उपनिवेशों में सैनिक शासन लागू कर दिया तथा बोस्टन के बंदरगाह को व्यापार के लिए बंद कर दिया। यूबेक एक्ट द्वारा कनाडा की सीमा ओहियो नदी तक निर्धारित कर दी गयी। वहाँ के कैथोलिकों को सुविधाएं दे दी गयी जिससे प्यूरिटन लोग और भी रूष्ट हो गये। प्रारम्भ में इंग्लैण्ड की सरकार अमेरिका के लोगों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने से सिसकती थी क्योंकि अमेरिका के लोगों के प्रति इंग्लैण्ड की सहानुभूति थी तथा सरकार का विचार था कि यदि यह दृढ़ रुख अपना कर अमेरिकी घटनाओं पर केवल नजर ही रखे तो पर्याप्त होगा क्योंकि यह संग्राम अधिक समय तक नहीं चल सकेगा और स्वतः ही समाप्त हो जायेगा। परन्तु बोस्टन की घटना के कारण इंग्लैण्ड की सरकार कठोर कार्यवाही करने पर विवश हुई।

अंग्रेजी सरकार ने ‘बोस्टन टी पार्टी’ की घटना को अपना अपमान समझा और अपराधियों को कठोर दण्डं दिया गया। इस दमन नीति का उपनिवेशवासियों ने विरोध किया। 1774 ई. में फिलाडेल्फिया में एक सभा हुई। इस सभा में अंग्रेजी सरकार से बातचीत करने का प्रस्ताव पारित किया गया। परन्तु जार्ज तृतीय ने विद्रोहियों से बातचीत करना उचित न समझा, अतएवं अमेरिका वालों ने युद्ध करने का निर्णय लिया।

परिणाम (महत्व )

अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का आधुनिक विश्व के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है। प्रथम यह कि इसके द्वारा एक नवीन राष्ट्र का जन्म हुआ तथा इसने यह सिद्ध कर दिया कि एक सशक्त राष्ट्र की स्वतंत्रता की माँग की अवहेलना दीर्घकाल तक नहीं की जा सकती, क्योंकि अमेरिकी उपनिवेशों के लोगों ने इंग्लेण्ड के राजा जॉर्ज तृतीय से संघर्ष कर अंत में स्वतंत्रता प्राप्त कर ली। दूसरे, ‘संयुक्त राज्य अमेरिका राजनीति में एक नया प्रयोग था। राष्ट्रीय स्वतन्त्रता की

आधारशिला पर संयुक्त गणराज्य का एक प्रासाद निर्मित किया गया जो यूरोपीय देशों के विपरीत समानता एवं भ्रातृत्व के सिद्धान्तों पर स्थापित था। यह नवीन प्रयोग राजनीति में विश्व के रूढ़िवादी राष्ट्रों की अपनी स्थिति सुधारने एवं क्रान्ति के लिए एक प्रोत्साहन एवं चुनौती थी। इससे फ्रांसीसी विचारक अत्यधिक प्रभावित हुये तथा उन्हें चिन्तन के लिए नवीन प्रेरणा प्राप्त हुई। जिन फ्रांसीसी सैनिकों ने इस युद्ध में भाग लिया था जब वे स्वदेश लौटे तो अपने साथ स्वतन्त्रता एवं समानता की भावना को भी साथ लाये जिसे वे अपने देश में स्थापित करना चाहते थे। इनमें लाकायते का नाम विशेष उल्लेखनीय है जिसने फ्रांस लौटते ही वहाँ की क्रान्ति में सक्रिय भाग लिया।

तीसरे, अमेरिका के सफल स्वतन्त्रता संग्राम ने राजा जॉर्ज तृतीय के राजशक्ति की के प्रयास को असफल कर दिया तथा ब्रिटिश कैबिनेट पद्धति को शक्तिशाली बनाया। वास्तविक अर्थों में इसी समय में इंग्लैण्ड में संवैधानिक राजतन्त्र स्थापित हुआ

तत्व एवं सार सिद्धान्त की अवधारणा क्या है ?

चौथे, इस क्रान्ति के मध्य यहाँ के निवासी यूरोप के लोगों के सम्पर्क में आये तथा उन्हें वैज्ञानिक कृषि का ज्ञान हुआ जिससे उन्होंने कृषि के क्षेत्र में काफी प्रगति की। कृषि के क्षेत्र में आधुनिकतम यंत्रों, उर्वरकों, उत्तम बीजों तथा सिंचाई के नवीन साधनों का प्रयोग किया जाने लगा। फलस्वरूप कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई।

पाँचवें, इस क्रान्ति का औद्योगिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। ब्रिटिश शासनकाल में अमेरिका का औद्योगिक विकास नहीं हो सका क्योंकि ब्रिटिश शासन द्वारा अमेरिकी उद्योग एवं वाणिज्य पर अनेक प्रतिबन्ध लगाये गए थे। अमेरिकी क्रान्ति की सफलता के पश्चात् इन प्रतिबन्धों की भी समाप्ति हो गई तथा अब तीव्र गति से अमेरिका का औद्योगिक विकास आरम्भ हुआ।

अन्त में, इसके फलस्वरूप ब्रिटिश औपनिवेशिक नीति में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए। अब यह विदित हो गया कि जिन उपनिवेशों में ‘श्वेत’ निवास करते हैं उन्हें दीर्घकाल तक अधीन नहीं रखा जा सकता है। अतः इन उपनिवेशों को स्वशासन प्रदान करने की नीति अपनाई गई। अमेरिकी उपनिवेश खोकर अब इंग्लैण्ड ने भातर की ओर अपना विशेष ध्यान दिया। अब इंग्लैण्ड ने उपनिवेशों की प्राप्ति के साथ ही उन्हें उन्नतिशील बनाने की ओर भी ध्यान दिया जिसके फलस्वरूप आस्ट्रेलिया, दक्षिणी अफ्रीका आदि उपनिवेशों में विकास का कार्य आरम्भ हुआ।

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