1982 ई0 के चीनी संविधान की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिये ।

1982 के संविधान की प्रमुख विशेषताएँ-

(1 ) लिखित संविधान

पाँचवीं राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस के द्वारा पाँचवें अधिवेशनमें स्वीकृत वर्तमान् संविधान 4 दिसम्बर, 1982 को लागू किया गया था। जैसा कि पहले कहा जा चुका है कि इस संविधान को चीन का अपेक्षाकृत विस्तृत संविधान कहा जा सकता है क्योंकि इसमें 138 अनुच्छेद सम्मिलित किये गये हैं। 1978 के संविधा न, जिसमें केवल 60 अनुच्छेद थे । यह संविधान लगभग दोगुना बड़ा है। इस संविधान के विस्तृत होने का कारण यह है कि संविधान के दूसरे अध्याय में अनुच्छेद 33 से लेकर 56 तक नागरिकों के मौलिक अधिकारों तथा कर्तव्यों का उल्लेख है यही नहीं, तीसरे अध्याय में अनुच्छेद 57 से अनुच्छेद 135 तक को सात खण्डों में विभाजित कर राष्ट्रीय तथा स्थानीय सरकारों का विवरण दिया गया है।

( 2 ) एकात्मक संविधान

प्रायः यह कहा जाता है कि एकात्मक शासन प्रणाली उन्हीं देशों में सफल हो सकती है जिनका आकार बहुत बड़ा न हो, जनसंख्या कम हो तथा धार्मिक या भाषा सम्बन्धी विवादों के लिए स्थान न हो। किन्तु चीन में पिछले तीनों संविधानों की भाँति नए संविधान के द्वारा एक एकात्मक राज्य की स्थापना की गई है।

(3) संविधान की संशोधन प्रणाली-

1954, 1975 और 1978 के संविधानों के अन्तर्गत चीन में इंग्लैण्ड के संविधान की भाँति एक लचीली पद्धति को अपनाया गया था किन्तु नए संविधान के अन्तर्गत संविधान की संशोधन की पद्धति में कुछ परिवर्तन किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 64 के अन्तर्गत यह कहा गया है, “संविधान में संशोधन स्थायी समिति के 1/5 से अधिक सदस्यों के द्वारा प्रस्तावित किए जायेंगे और उन्हें राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस के समस्त सदस्यों 2/3 भाग द्वारा स्वीकृति मिलनी आवश्यक है।” इस प्रकार चीन में अब साधारण कानून तथा संवैधानिक संशोधन की प्रक्रिया में अन्तर लाया गया है तथा इस संविधान को अब लचीले संविधानों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

( 4 ) राष्ट्रीय सरकार का ढाँचा

1978 के संविधान की भाँति 1982 के संविधान में भी राष्ट्रीय सरकार के चार अंगों की व्यवस्था की गई है। तीसरे अध्याय में राजकीय ढाँचे के अन्तर्गत प्रथम खण्ड में अनुच्छेद 57 से लेकर अनुच्छेद 78 तक एक सदनीय विधानमण्ड राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस तथा इसकी स्थायी समिति का उल्लेख किया गया है। दूसरे खण्ड में राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के पद का उल्लेख अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 84 तक में किया गया है। तीसरे खण्ड में धारा 85 से लेकर धारा 92 तक में राज्य परिषद् की विस्तृत चर्चा की गई है तथा सातवें खण्ड में धारा 123 से 135 तक में जन-न्यायालयों तथा जन न्यायवादियों की व्याख्या की गई है।

(5) साम्यवादी दल का महत्व

संविधान की प्रस्तावना में यह कहा गया है कि चीन में मार्क्सवादी लेनिनवादी तथा माओवादी विचारों के मार्गदर्शन तथा साम्यवादी दल के नेतृत्व में सभी राष्ट्रीयताएँ समाजवादी मार्ग पर अग्रसर होगी तथा समाजवादी लोकतंत्र का विकास करेंगी। 1978 के संविधान तथा वर्तमान् संविधान में एक प्रमुख अन्तर यह है कि जहाँ 1975 तथा 1978 के संविधानों में विभिन्न अनुच्छेदों के अन्तर्गत साम्यवादी दल के द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका का विस्तृत वर्णन किया गया था, 1982 के संविधान में प्रस्तावना के अतिरिक्त कहीं भी राजनीतिक दलों के बारे में कुछ भी नहीं लिखा गया है। संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद के निर्माण के लिये श्रमिकों, कृषकों तथा बुद्धिजीवियों की एकता तथा उनके योगदान पर अत्यधिक बल दिया गया है यह भी कहा गया है कि क्रान्ति के इस दीर्घकाल के चीन के साम्यवादी दल को नेतृत्व ही प्रदान नहीं किया अपितु राष्ट्र के निर्माण में अन्य लोकतन्त्रीय दलों के साथ मिलकर संयुक्त मोर्चे का संगठन किया। इस प्रकार संविधान की प्रस्तावना द्वारा साम्यवादी दल को अन्य लोकतान्त्रिक दलों के संयुक्त मोर्चे का नेतृत्व प्रदान किया गया है तथा चीन की राजनीतिक व्यवस्था में प्रभावात्मक भूमिका निभाने के लिए मान्यता प्रदान की गई है।

(6) मौलिक अधिकार तथा कर्तव्य

पूर्व सोवियत संघ तथा पिछले तीनों, संविधानों की भाँति नए संविधान के दूसरे अध्याय में अनुच्छेद 33 से अनुच्छेद 56 में नागरिकों के मौलिक अधिकारों तथा कर्तव्यों का वर्णन किया गया है। मौलिक अधिकारों के अन्तर्गत सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समानता, भाषण की स्वतन्त्रता, प्रेस की स्वतन्त्रता, कहीं एकत्रित होने की स्वतन्त्रता, संघ बनाने की स्वतन्त्रता, तथा कहीं भी प्रदर्शन करने और जुलूस निकालने की स्वतन्त्रता दी गई है। यही नहीं उन्हें धार्मिक क्षेत्र में भी स्वतन्त्रता प्रदान की गई है। राजनीतिक क्षेत्र में सभी 18 वर्ष के नागरिकों को मतदान तथा निर्वाचन में खड़े होने का अधिकार भी प्रदान किया गया है। इसके अतिरिक्त व्यक्तियों तथा घरों की पवित्रता की भी रक्षा की गई है। अनुच्छेद 42 के अन्तर्गत नागरिकों को काम करने का अधिकार एवं कर्तव्य सौंपा गया है। अनुच्छेद 49 के अन्तर्गत नागरिकों को परिवार नियोजित करने के लिए अनुरोध किया गया है।

(7) समाजवादी व्यवस्था की स्थापना

जनवादी चीनी गणराज्य में नए संविधान के अन्तर्गत एक समाजवादी व्यवस्था की स्थापना की गई है। संविधान की प्रस्तावना के अनुसार, “जनवादी गणराज्य की स्थापना के पश्चात् चीनी समाज ने धीरे-धीरे एक नए लोकतन्त्र में समाजवादी समाज में परिवर्तन किया है।” संविधान के अनुच्छेद प्रथम के अनुसार, “चीन का जनवादी गणराज्य श्रमिकों तथा कृषकों के गठबन्धन पर आधारित कार्यरत वर्ग के नेतृत्व में जनवादी लोकतन्त्रीय अधिनायकवाद के अन्तर्गत एक ‘समाजवादी ‘राज्य’ है। किसी भी व्यक्ति या संस्था को समाजवादी व्यवस्था के विरुद्ध कार्यवाही करने पर प्रतिबन्ध है।”

( 8 ) लोकतान्त्रिक केन्द्रीयकरण

साम्यवादी राजनीतिक व्यवस्थाओं में एक अनोखी व्यवस्था- लोकतान्त्रिक केन्द्रीयकरण की अपनाई जाती है। पूर्व सोवियत संघ की भाँति चीन के नए संविधान की अनुच्छेद तीन कहती है कि, “जनवादी चीनी गणराज्य में राजकीय अंग लोकतान्त्रिक केन्द्रीयकरण के सिद्धान्त को लागू करेंगे।” संघ की

( 9 ) स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका का अभाव

पूर्व सोवियत भाँति चीन में भी न्यायपालिका का निर्वाचन किया जाता है। अतः न्यायपालिका को अपने निर्वाचन व कार्यकाल के लिए राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस पर आश्रित रहना पड़ता है तथा ऐसी परिस्थितियों में किसी भी राष्ट्र की न्यायपालिका से स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष होकर न्याय देने की आशा करना सच्चाई से आँख चुराना है। संक्षेप में, चीन की न्यायपालिका सरकार का एक अभिन्न अंग है तथा इसे प्रतिबद्ध होकर कार्य करना पड़ता है।

(10) दो कार्यकालों से अधिक कार्याविधि नहीं

चीन के नए संविधान की एक अन्य विशेषता तीसरे अध्याय के चौथे खण्ड में अनुच्छेद 93 तथा 94 के अन्तर्गत एक केन्द्रीय सैनिक आयोग की स्थापना का उल्लेख है। यह आयोग राष्ट्र की सेनाओं का निर्देशन करेगा। इस आयोग के अध्यक्ष व अन्य सदस्यों का निर्वाचन राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस के द्वारा 5 वर्षों के लिए किया जाएगा तथा यह अपने कार्यों के लिए इसी के प्रति उत्तरदायी होगी।

1982 के नए संविधान की विशेषताओं से परिचय प्राप्त करने के पश्चात् हम कह सकते हैं कि इस संविधान में कई पहली संस्थाओं को छोड़ दिया गया था। कुछ के महत्व को कम कर दिया गया है तथा परिस्थितियों के अनुकूल कई नई संस्थाओं को सम्मिलित किया गया है। यह राष्ट्र का मौलि कानून है जिसे सर्वोच्च सत्ता प्राप्त है।

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