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भ्रष्टाचार क्या है? इस हेतु उत्तरदायी कारणों की विवेचना कीजिए।

भ्रष्टाचार क्या है? इस हेतु उत्तरदायी कारणों की विवेचना कीजिए।

भ्रष्टाचार क्या है? – भ्रष्टाचार प्रत्येक युग । में किसी न किसी रूप में होता रहा है। यह बात दूसरी है कि किस युग में कितना भ्रष्टाचार रहा है। इसलिए भ्रष्टाचार का प्रयोग संकीर्ण अर्थों में न होकर व्यापक अर्थों में किया जाता है। भ्रष्टाचार की व्याख्या केवल आधुनिक युग में ही नहीं की जाती […]

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भारत में राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया का वर्णन कीजिये। Describe the procedure of impeachment of President of India.

भारत में राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया का वर्णन कीजिये। Describe the procedure of impeachment of President of India.

भारत में राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया- भारत में राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष निर्वाचन की पद्धति द्वारा होता है और उसका कार्यकाल 5 वर्ष होता है। परन्तु भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा संविधान का उल्लंघन किये जाने पर संविधान में दी गयी पद्धति के अनुसार उस पर महाभियोग लगाकर उसे पदच्युत

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दलित आन्दोलन पर एक निबन्ध लिखिए। समाज पर उसके प्रभावों की चर्चा कीजिए।

दलित आन्दोलन पर एक निबन्ध लिखिए। समाज पर उसके प्रभावों की चर्चा कीजिए।

दलित आन्दोलन – जनजातियों को सबसे निचली हैसियत हासिल थी। वे समाज का सबसे निचलों वर्ग समझे जाते थे। वे खेतों में मजदूरी करते थे या सामान होते थे, या कल-कारखानों में कुलियों और मालियों का काम करते थे। उपनिवेशवादी राज से जनजातीय क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रभावित हुए। जनजातियों के क्षेत्र में बाहरी

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पिछड़े वर्गों की अवधारणा का अर्थ क्या हैं? इसकी विशेषताएँ बताइए।

पिछड़े वर्गों की अवधारणा का अर्थ क्या हैं? इसकी विशेषताएँ बताइए।

पिछड़े वर्गों की अवधारणा का अर्थ – देश के संविधान में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के समान पिछड़े वर्गों की परिभाषा नहीं दी गई है। इसमें केवल पिछड़े वर्गों की स्थितियों के अन्वेषण के लिये ‘आयोग’ (Commission) की नियुक्ति का प्रावधान है। अनुच्छेद 340 राष्ट्रपति को पिछड़े वर्ग सम्बन्धी आयोग की नियुक्ति प्रदान करता

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तत्व एवं सार का सिद्धान्त की अवधारणा क्या है ?

तत्व एवं सार सिद्धान्त की अवधारणा क्या है ?

तत्व एवं सार सिद्धान्त की अवधारणा- एक विधान मण्डल द्वारा बनाई गई विधि जब दूसरे विधान मण्डल के क्षेत्र का अतिक्रमण करती है तो उभर कर सामने आती है। दूसरे शब्दों में जब एक विधानमण्डल द्वारा बनाई गई कोई विधि दूसरे विधानमण्डल के भी क्षेत्र में अतिक्रमण करती है तो इस बात के अवधारण करने

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पिछड़े वर्गों की प्रमुख समस्याएं क्या है? इन समस्याओं के समाधान हेतु सरकारी प्रयासों का वर्णन कीजिये।

पिछड़े वर्गों की समस्याएं क्या है? इन समस्याओं के समाधान हेतु सरकारी प्रयासों का वर्णन कीजिये।

पिछड़े वर्गों की समस्याएं ( problems of backward classes) – परम्परागत रूप में पिछड़े वर्गों की समस्याएँ लगभग वही हैं जो अन्य निर्बल वर्ग (weaker section) जैसे अनुसूचित जातियों की हैं। हाँ उनकी मात्रा (Quantity) में अन्तर अवश्य है। वह यह कि अनुसूचित जनजातियों की तुलना में पिछड़े वर्गों की समस्यायें कुछ कम गम्भीर हैं।

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उद्म (आभासी) विधायन का सिद्धान्त का वर्णन कीजिए ।

उद्म (आभासी) विधायन का सिद्धान्त का वर्णन कीजिए ।

उद्म (आभासी) विधायन का सिद्धान्त – उच्चतम न्यायालय ने के0सी0जी0 नारायण देव बनाम उड़ीसा राज्य के बाद में आभासी विधायन का अर्थ और प्रयोग क्षेत्र के सिद्धान्त को निम्नलिखित शब्दों में व्यक्त किया है- “यदि संविधान, विधायी शक्तियों का विधायी निकायों में वितरण करता है, जिन्हें कार्मिक क्षेत्रों में कार्य करना है, जिन्हें विशेष विधायी

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जापान में तोकुगावा युगीन शासन प्रणाली का विस्तृत वर्णन कीजिए।

जापान में तोकुगावा युगीन शासन प्रणाली का विस्तृत वर्णन कीजिए।

जापान में तोकुगावा युगीन शासन – तोकुगावा शासन विरोधाभासयुक्त था, क्योंकि एक और हम इसमें केन्द्रीकरण की प्रवृत्ति पाते हैं तो दूसरी ओर सामन्तों की स्वायत्तता भी दिखायी देती हैं। इस प्रणाली में एक-दूसरे पर निर्भर अनेक श्रेणियाँ थीं। शीर्ष पर सम्राट था। सिद्धान्ततः लौकिक एवं आध्यात्मिक दृष्टियों से यही जापान का सर्वोच्च शासक था,

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कमोडोर पेरी के जापान आगमन ने जापानी एकान्तवास को खत्म कर उसके द्वार पश्चिम के लिए खोल दिये।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।

कमोडोर पेरी के जापान आगमन— जापान के साथ अपना सम्पर्क स्थापित करने में सबसे अधिक तत्परता अमेरिका ने प्रदर्शित की। अमेरिका के राष्ट्रपति ने कमोडोर पेरी के नेतृत्व में एक मिशन इस उद्देश्य से जापान भेजा, कि वह वहाँ जाकर अमेरिकन सरकार के सन्देश को जापान की सरकार तक पहुँचाए। पेरी के इस मिशन के

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तोकुगावा युगीन जापान की आर्थिक व्यवस्था का वर्णन कीजिए।।

तोकुगावा युगीन जापान की आर्थिक व्यवस्था का वर्णन कीजिए।।

तोकुगावा युगीन जापान की आर्थिक व्यवस्था-तोकुगावा कुल की शोगुनशाही की स्थापना के समय जापान की अर्थव्यवस्था प्रायः पूर्णरूपेण कृषि प्रधान थी। लगभग 80 प्रतिशत जनता कृषक थी और गाँवों में रहती थी। चांवल मुख्य उत्पादन था। विनिमय का माध्यम और समृद्धि का मापदण्ड भी चांवल ही था। सैनिक सरदारों आदि का वेतन चांवल के रूप

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