भारत में राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया- भारत में राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष निर्वाचन की पद्धति द्वारा होता है और उसका कार्यकाल 5 वर्ष होता है। परन्तु भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा संविधान का उल्लंघन किये जाने पर संविधान में दी गयी पद्धति के अनुसार उस पर महाभियोग लगाकर उसे पदच्युत किया जा सकता है। अनुच्छेद 61 के अनुसार राष्ट्रपति पर महाभियोग का आरोप संसद के किसी सदन द्वारा लगाया जा सकता है। लेकिन ऐसा कोई भी आरोप तय तक नहीं लगाया जायेगा जब तक कि
- प्रस्तावित आरोप एक संकल्प (resolution) के रूप में न हो;
- जो कि कम-से-कम 14 दिन की लिखित सूचना देने के बाद न प्रस्तुत किया गया हो;
- जिस पर सदन के 1/4 सदस्यों ने हस्ताक्षर करके प्रस्तावित करने का तथ्य प्रकट न किया हो;
- उस सदन के कुल सदस्य संख्या के कम-से-कम 2/3 बहुमत द्वारा ऐसे संकल्प को पारित न कर दिया गया हो।
जब संसद के किसी सदन द्वारा इस प्रकार का आरोप लगाया जा चुका हो तब दूसरा सदन उस आरोप की जाँच (investigation) करेगा। जाँच या तो सदन स्वयं करेगा या न्यायालय या न्यायाधिकरण के द्वारा करायेगा, जिसको उस सदन द्वारा निर्दिष्ट किया जायेगा। राष्ट्रपति को इस जाँच में स्वयं उपस्थित होकर या वकील द्वारा अपना बचाव प्रस्तुत करने का अधिकार होगा। यदि जाँच के बाद वह सदन अपनी सदस्य संख्या के कम-से-कम 2/3 बहुमत द्वारा एक संकल्प पारित करके यह घोषित कर देता है कि राष्ट्रपति पर लगाया गया आरोप साबित हो चुका है तो ऐसे संकल्प का प्रभाव उसको पारित किये जाने की तारीख से राष्ट्रपति को अपने पद से हटाया जाना होगा। (अनु० 61 (4))। अमेरिका में भी राष्ट्रपति को महाभियोग लगाकर हटाया जा सकता है। लेकिन इस बात पर भारतीय अमेरिकी संविधान के उपबन्धों में कुछ अन्तर है। भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग ‘संविधान के अतिक्रमण’ के लिए लगाया जा सकता है जबकि अमेरिका के राष्ट्रपति पर महाभियोग ‘राजद्रोह’, ‘घूस लेने’ और ‘अन्य’ अपराध’ करने के आधार लगाया जा सकता है। अमेरिका में महाभियोग के आरोप लगाने की कार्यवाही केवल निम्न सदन द्वारा प्रारम्भ की जा सकती है। यह सदन आरोप की जाँच के लिए न्यायिक समिति नियुक्त करता है। इस जाँच के परिणाम को सीनेट में भेजा जाता है। जिस समय सीनेट में महाभियोग की सुनवाई होती है उस समय अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधिपति सीनेट की अध्यक्षता करता है। यदि सीनेट अपने 2/3 बहुमत से आरोपों को मान लेता है तो राष्ट्रपति दोषसिद्ध हो जाता है और अपने पद से हटा दिया जाता है।
संविधान के अनुच्छेद 56(1)(ग) के अनुसार राष्ट्रपति अपने पद पर निश्चित अवधि की समाप्ति के उपरान्त भी उस समय तक आसीन रहेगा, जब तक कि उसका उत्तराधिकारी राष्ट्रपति पद को ग्रहण नहीं करता है। मृत्यु त्यागपत्र या महाभियोग स्वीकृत होने से राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर यथासंभव 6 माह के अन्दर अन्दर नया निर्वाचन हो जाना चाहिये। निर्वाचन तक भारत का उपराष्ट्रपति उसके पद पर कार्य करेगा।
- भारत में राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया का वर्णन कीजिये। Describe the procedure of impeachment of President of India.
- तत्व एवं सार सिद्धान्त की अवधारणा क्या है ?
- उद्म (आभासी) विधायन का सिद्धान्त का वर्णन कीजिए ।
- मूल कर्तव्यों की आवश्यकता का वर्णन करते हुए उसके स्रोत की विवेचना कीजिए।
- निर्वाचन आयोग के गठन व शक्तियों का वर्णन कीजिये। Discuss the constitution and powers of Election Commission.
- संघ लोक सेवा आयोग की संरचना एवं कार्यों का वर्णन कीजिये।(Discuss the constitution and functions of Union Public Service Commission)
- राज्य लोकसेवा आयोग की संरचना एवं कार्यों का वर्णन कीजिये। (Discuss the constitution and functions of State Public Service Commission.)