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भारत में राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया का वर्णन कीजिये। Describe the procedure of impeachment of President of India.

भारत में राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया का वर्णन कीजिये। Describe the procedure of impeachment of President of India.

भारत में राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया- भारत में राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष निर्वाचन की पद्धति द्वारा होता है और उसका कार्यकाल 5 वर्ष होता है। परन्तु भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा संविधान का उल्लंघन किये जाने पर संविधान में दी गयी पद्धति के अनुसार उस पर महाभियोग लगाकर उसे पदच्युत […]

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तत्व एवं सार का सिद्धान्त की अवधारणा क्या है ?

तत्व एवं सार सिद्धान्त की अवधारणा क्या है ?

तत्व एवं सार सिद्धान्त की अवधारणा- एक विधान मण्डल द्वारा बनाई गई विधि जब दूसरे विधान मण्डल के क्षेत्र का अतिक्रमण करती है तो उभर कर सामने आती है। दूसरे शब्दों में जब एक विधानमण्डल द्वारा बनाई गई कोई विधि दूसरे विधानमण्डल के भी क्षेत्र में अतिक्रमण करती है तो इस बात के अवधारण करने

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उद्म (आभासी) विधायन का सिद्धान्त का वर्णन कीजिए ।

उद्म (आभासी) विधायन का सिद्धान्त का वर्णन कीजिए ।

उद्म (आभासी) विधायन का सिद्धान्त – उच्चतम न्यायालय ने के0सी0जी0 नारायण देव बनाम उड़ीसा राज्य के बाद में आभासी विधायन का अर्थ और प्रयोग क्षेत्र के सिद्धान्त को निम्नलिखित शब्दों में व्यक्त किया है- “यदि संविधान, विधायी शक्तियों का विधायी निकायों में वितरण करता है, जिन्हें कार्मिक क्षेत्रों में कार्य करना है, जिन्हें विशेष विधायी

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मूल कर्तव्यों की आवश्यकता का वर्णन करते हुए उसके स्रोत की विवेचना कीजिए।

मूल कर्तव्यों की आवश्यकता का वर्णन करते हुए उसके स्रोत की विवेचना कीजिए।

मूल कर्तव्यों की आवश्यकता-भारत सरकार द्वारा गठित 42वें संविधान संशोधन समिति का मत था कि जहाँ संविधान में नागरिकों के मूल अधिकारों का उल्लेख किया गया है, वहाँ मूल कर्तव्यों का भी समावेश होना चाहिए। अधिकार और कर्तव्य एक-दूसरे के अन्योन्याश्रित होते हैं। प्रस्तुत संशोधन संविधान इसी कमी को दूर करने के लिए पारित किया

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निर्वाचन आयोग के गठन व शक्तियों का वर्णन कीजिये। Discuss the constitution and powers of Election Commission.

निर्वाचन आयोग के गठन व शक्तियों का वर्णन कीजिये। Discuss the constitution and powers of Election Commission.

निर्वाचन आयोग के गठन – निर्वाचन व्यवस्था (Election System) लोकतंत्र के प्राण (Life) व स्वतन्त्र निर्वाचन का संचालन संसदीय जनतंत्र की आवश्यकता है। प्रत्येक व्यवस्था में निर्वाचन प्रक्रिया का महत्त्व होता है, किन्तु संसदीय जनतंत्र में तो इसका अपना एक विशेष स्थान व बड़ा महत्त्व है। लोकतंत्र में चुनाव किस प्रकार होते हैं, यही महत्त्वपूर्ण

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संघ लोक सेवा आयोग की संरचना एवं कार्यों का वर्णन कीजिये।(Discuss the constitution and functions of Union Public Service Commission)

संघ लोक सेवा आयोग की संरचना एवं कार्यों का वर्णन कीजिये।(Discuss the constitution and functions of Union Public Service Commission)

संघ लोक सेवा आयोग की संरचना – भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315 (1) में कहा गया है कि “समस्त भारत के लिये एक संघ लोक सेवा आयोग होगा एवं प्रत्येक राज्य के लिये पृथक-पृथक लोक सेवा आयोग होंगे। इस प्रकार भारतीय संविधान द्वारा दो प्रकार के लोक सेवा आयोगों की व्यवस्था की गयी है। पहली

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राज्य लोक सेवा आयोग की संरचना एवं कार्यों का वर्णन कीजिये। (Discuss the constitution and functions of State Public Service Commission.)

राज्य लोकसेवा आयोग की संरचना एवं कार्यों का वर्णन कीजिये। (Discuss the constitution and functions of State Public Service Commission.)

राज्य लोकसेवा आयोग की संरचना – प्रत्येक राज्य का एक लोक सेवा आयोग होता है। संविधान के अनुच्छेद 315 (1) में कहा गया है कि “समस्त भारत के लिए एक संघ लोकसेवा आयोग होगा और प्रत्येक राज्य के लिए पृथक-पृथक लोकसेवा आयोग होंगे।” इस प्रकार भारतीय संविधान के द्वारा दो प्रकार के लोकसेवा आयोगों की

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भारतीय संविधान की प्रकृति की विवेचना कीजिये। Discuss the nature of Indian Constitution.

भारतीय संविधान की प्रकृति की विवेचना कीजिये। Discuss the nature of Indian Constitution.

भारतीय संविधान की प्रकृति के सन्दर्भ में यह प्रश्न उठता है कि उसकी प्रकृति परिसंघात्मक है या एकात्मक एकात्मक संविधान वह होता है जिसमें समस्त शक्ति केन्द्रीय सरकार को प्रदान की गई होती है जबकि परिसंघात्मक व्यवस्था में शक्तियाँ केन्द्र तथा राज्य के बीच विभक्त होती है। उस प्रकार भारतीय संविधान की प्रकृति का निर्धारण

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भारतीय संसद में विधि-निर्माण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए। Explain the procedure of law making in Indian Parliament.

भारतीय संसदीय व्यवस्था में विधि के निर्माण के लिए संसद को अधिकृत किया गया है। संघ सूची, समवर्ती सूची, और संकटकाल में राज्य सूची के सन्दर्भित विषयों पर कानून निर्माण का अधिकार भी संसद को दिया गया है। भारतीय संविधान में संसद को कानून निर्माण की प्रक्रिया सम्बन्धी अधिकारों का वर्णन अनुच्छेद 107 से 122

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दुर्व्यपदेशन का अर्थ स्पष्ट करते हुए संविदा पर इसके प्रभाव का वर्णन कीजिए।Explain the meaning of misrepresentation and discuss its effect on contract.

भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 18 में परिभाषित मिथ्या व्ययर्देशन में अन्तर्गत आते है- (1) किसी ऐसी बात का, जो सत्य नहीं है, ऐसे प्रकार से किया गया निश्चयात्मक प्राख्यान जो उस व्यक्ति की, जो उसे करता है जानकारी से समर्थित न हो, यद्यपि यह उस बात से सत्य होने का विश्वास करता हो,

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