मूल कर्तव्यों की आवश्यकता का वर्णन करते हुए उसके स्रोत की विवेचना कीजिए।

मूल कर्तव्यों की आवश्यकता का वर्णन करते हुए उसके स्रोत की विवेचना कीजिए।

मूल कर्तव्यों की आवश्यकता-भारत सरकार द्वारा गठित 42वें संविधान संशोधन समिति का मत था कि जहाँ संविधान में नागरिकों के मूल अधिकारों का उल्लेख किया गया है, वहाँ मूल कर्तव्यों का भी समावेश होना चाहिए। अधिकार और कर्तव्य एक-दूसरे के अन्योन्याश्रित होते हैं। प्रस्तुत संशोधन संविधान इसी कमी को दूर करने के लिए पारित किया […]

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निर्वाचन आयोग के गठन व शक्तियों का वर्णन कीजिये। Discuss the constitution and powers of Election Commission.

निर्वाचन आयोग के गठन व शक्तियों का वर्णन कीजिये। Discuss the constitution and powers of Election Commission.

निर्वाचन आयोग के गठन – निर्वाचन व्यवस्था (Election System) लोकतंत्र के प्राण (Life) व स्वतन्त्र निर्वाचन का संचालन संसदीय जनतंत्र की आवश्यकता है। प्रत्येक व्यवस्था में निर्वाचन प्रक्रिया का महत्त्व होता है, किन्तु संसदीय जनतंत्र में तो इसका अपना एक विशेष स्थान व बड़ा महत्त्व है। लोकतंत्र में चुनाव किस प्रकार होते हैं, यही महत्त्वपूर्ण

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संघ लोक सेवा आयोग की संरचना एवं कार्यों का वर्णन कीजिये।(Discuss the constitution and functions of Union Public Service Commission)

संघ लोक सेवा आयोग की संरचना एवं कार्यों का वर्णन कीजिये।(Discuss the constitution and functions of Union Public Service Commission)

संघ लोक सेवा आयोग की संरचना – भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315 (1) में कहा गया है कि “समस्त भारत के लिये एक संघ लोक सेवा आयोग होगा एवं प्रत्येक राज्य के लिये पृथक-पृथक लोक सेवा आयोग होंगे। इस प्रकार भारतीय संविधान द्वारा दो प्रकार के लोक सेवा आयोगों की व्यवस्था की गयी है। पहली

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राज्य लोक सेवा आयोग की संरचना एवं कार्यों का वर्णन कीजिये। (Discuss the constitution and functions of State Public Service Commission.)

राज्य लोकसेवा आयोग की संरचना एवं कार्यों का वर्णन कीजिये। (Discuss the constitution and functions of State Public Service Commission.)

राज्य लोकसेवा आयोग की संरचना – प्रत्येक राज्य का एक लोक सेवा आयोग होता है। संविधान के अनुच्छेद 315 (1) में कहा गया है कि “समस्त भारत के लिए एक संघ लोकसेवा आयोग होगा और प्रत्येक राज्य के लिए पृथक-पृथक लोकसेवा आयोग होंगे।” इस प्रकार भारतीय संविधान के द्वारा दो प्रकार के लोकसेवा आयोगों की

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भारतीय समाज के सन्दर्भ में सामाजिक स्तरीकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

भारतीय समाज के सन्दर्भ में सामाजिक स्तरीकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

सामाजिक स्तरीकरण का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Social Stratification) – अंग्रेजी का ‘Stratification’ शब्द भू-गर्भशास्त्र के हिन्दी शब्द के अर्थ से लिया गया है। Stratification को मूल शब्द ‘Stratum’ से लिया गया है जिसका अर्थ ‘भूमि की परतों’ से है। जिस प्रकार भूमि की विभिन्न परतों का अध्ययन भू-गर्भशास्त्र में किया जाता

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बेरोजगारी (बेकारी) का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसके कारण स्पष्ट कीजिए।

बेरोजगारी (बेकारी) का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसके कारण स्पष्ट कीजिए।

बेरोजगारी (बेकारी) का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and definition of unemployment)- प्रायः लोग बेकारी का तात्पर्य व्यक्ति की उस अवस्था से लगाते हैं जिनमें वह बेकार रहता है, या उसे कोई काम नहीं मिलता है। परन्तु बेकारी का यह बहुत ही संकुचित अर्थ है। वास्तव में बेकारी का तात्पर्य व्यक्ति की उस अवस्था से होता

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बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकारी प्रयास कौन-कौन से हैं?

बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकारी प्रयास कौन-कौन से हैं?

बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकारी प्रयास (Government Effots to Remove Unemployment) – एक लोकतान्त्रिक देश की सम्पन्नता व समृद्धता केवल इस बात पर निर्भर नहीं करती कि उसके पास प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक स्रोत व संसाधन उपलब्ध हैं, बल्कि इस बात पर भी निर्भर करती है कि इन स्त्रोतों व संसाधनों के विदोहन में

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मार्क्स के ऐतिहासिक भौतिकवाद की व्याख्या कीजिए।

मार्क्स के ऐतिहासिक भौतिकवाद की व्याख्या कीजिए।

मार्क्स के ऐतिहासिक भौतिकवाद- मार्क्स ने अपने अध्ययन में इतिहास का प्रयोग एक विशिष्ट प्रकार से किया है। जिसे इतिहास की भौतिकवादी अवधारणा अथवा ऐतिहासिक भौतिकवाद कहा जाता है। इस सिद्धान्त में मार्क्स भौतिक शब्द का प्रयोग चेतनाहीन पदार्थ के रूप में न करके सामाजिक परिवर्तन की बात करते हैं। मार्क्स का यह मानना है

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भारत में समाजशास्त्र के उदय पर चर्चा कीजिए।

भारत में समाजशास्त्र के उदय पर चर्चा कीजिए।

भारत में समाजशास्त्र के उदय – समाजशास्य मूलरूप से सामाजिक सम्बन्धों और सामाजिक ढांचे का अध्ययन करने वाला विज्ञान है। अतः इस रूप में इसका इतिहास अधिक पुराना नहीं हैं लेकिन मूल रूप से यह हजारों वर्ष पुराना है। पश्चिमी समाजों में समाजशास्त्र 1. समाजशास्त्र के विकास की प्रथम अवस्था समाजशास्त्र के क्रमबद्ध अध्ययन में

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